लॉकडाउन डायरी – बुझी आँखों का सच 

मिसेज सलूजा की सखियों की टोली में कभी-कभार बैठने वाली एक सदस्य थी अपर्णा की मम्मी. किसी को अपर्णा की मम्मी का नाम नहीं पता, सब उन्हें बस यही कह कर बुलाते थे. अपर्णा की मम्मी रोज मिसेज सलूजा के यहाँ जमने वाली बैठक में सबसे कम बोलने वाली थी. वैसे वो खुद नहीं बोलती थी, पर अपर्णा की मम्मी की बुझी आँखें जरूर ये बता देती थी कि कुछ तो था उनकी जिंदगी में जो ठीक नहीं था. कभी-कभी उनकी आँखों की सूजन को देख जब सब पूछते कि क्या हुआ तो अपर्णा की मम्मी हंस कर हमेशा एक ही जवाब देती थी ” अरे कुछ नहीं, बस रात में नींद नहीं आई सही से..”

किसी ने कभी खुल कर अपर्णा की मम्मी से नहीं पूछा कि ये रोज का नींद ना आना और उनके चेहरे का यूँ बुझा-बुझा रहना किस वजह से था. पर सबको इस बात का अंदाजा था कि वो अपने मुरझाए होठो वाली हंसी के पीछे जरूर कुछ छुपाना चाहती थी. इसलिए किसी ने कभी जबरदस्ती जानने की कोशिश भी नहीं की. सब यही चाहते कि जो भी समय अपर्णा की मम्मी साथ में बैठ कर बिताती उसमे वो खुश रहें. इसीलिए उनसे खूब मज़ाक होता. थोड़ी देर के लिए ही सही अपर्णा की मम्मी खुल कर हंसती भी थी. 

लॉकडाउन के दौरान मिसेज सलूजा के यहाँ की बैठक बंद हो गई. कई दिनों तक अपर्णा की मम्मी का हाल चाल किसी को कुछ पता नहीं चला. फिर एक दिन मिसेज मिश्रा ने मिसेज सलूजा को फ़ोन करके अपर्णा की मम्मी से जुड़ी कुछ बात बताई जो उन्हें उड़ती-उड़ती सुनने को मिली थी. अपर्णा की मम्मी के हाथ में प्लास्टर लगा था. किसी ने उन्हें बाहर देखा था जब वो एक हाथ में प्लास्टर लिए दूसरे हाथ से तार पर कपड़े डालने निकली थी. अपर्णा की मम्मी का फ़ोन नंबर किसी के पास नहीं था इसलिए ये नहीं पता चल पाया कि प्लास्टर क्यों लगा! मिसेज मिश्रा थोड़ी जुझारू थी, उन्होंने एक दिन अपर्णा की मम्मी को बाहर आते देख लिया और पहुंच गई पूछने कि क्या हुआ!

अपर्णा की मम्मी ने बोला कि घर में फिसल जाने से हाथ टूट गया. मिसेज मिश्रा ने छूटते ही पूछा कि घर में काम कौन कर रहा फिर? अपर्णा की मम्मी ने गला साफ़ करते हुए कहा कि “कौन करेगा भाभी, मुझे ही करना हैं सब..” उनका दुःख उनकी आवाज में झलक ही गया था. मिसेज मिश्रा कुछ और भी पूछना चाहती थी पर तब तक घर के अंदर से अपर्णा के पापा की आवाज आ गई “सो गई क्या बाहर ही..?”

अपर्णा के पापा का एक छोटा रेस्टोरेंट था जो लॉकडाउन में बंद था. इसलिए अपर्णा के पापा भी घर पर ही रहते थे. एक दिन उनके घर से जोर-जोर आवाजे आने लगी. अपर्णा के पापा के चिल्लाने की आवाज साफ़ बाहर तक आ रही थी. ऐसा भी लग रहा कि वो अपर्णा की मम्मी को पीट भी रहे थे. पर किसी के निजी मामले में कोई क्यों बोलता! फिर अक्सर ही उनके घर से ऐसी आवाजे आने लगी. उनकी घरेलू हिंसा का सबको पता चल गया था. जिसमे अपर्णा की मम्मी घुट घुट कर रहने को मजबूर थी.


दुनिया भर से जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे पता चलता है कि कोविड-१९  के प्रकोप के बाद से महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा और ख़ास तौर पर घरेलू हिंसा के मामले बढ़ गए हैं. भारत में भी घरेलू हिंसा के मामलों में इस दौरान बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है. भारतीय महिलाओं की तरफ से पिछले १० वर्षों में दर्ज कराई गई शिकायतों की तुलना में सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा की शिकायतें लॉकडाउन के दौरान दर्ज कीं गई. लेकिन ये आकड़े भी चौकाने वाले हैं क्योंकि घरेलू हिंसा का अनुभव करने वाली ८६% महिलाएं भारत में मदद नहीं मांगती हैं.

लॉकडाउन एक ऐसा समय था जब बहुत से पुरुष काम ना होने और सीमित पैसे के कारण निराश थे. ऐसे में हिंसा के लिए परिवार की महिलाएं उनकी आसान शिकार थी. मदद मांगने वाली १४.३ % पीड़ितों में से, केवल ७% संबंधित अधिकारियों जैसे पुलिस, डॉक्टरों, वकीलों या सामाजिक सेवा संगठनों तक पहुंच पाई. लेकिन ९०% से अधिक पीड़ितों ने केवल अपने तत्काल परिवार से ही मदद मांगी. जिसमे ज्यादातर मामले वही दबा दिए गए.

हम आम तौर पर मानते हैं कि घरेलू हिंसा की शिकार निचले तबके की महिलाएं होती हैं जिनके पति दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चलाने वाले या कोई छोटा मोटा काम करने वाले और कम आमदनी वाले होते हैं. पर लॉक डाउन में ये पता चला कि ये सिर्फ एक भ्रम हैं. अच्छे स्तर वाले और पढ़े-लिखे परिवारों में भी घरेलू हिंसा देखी गई.  


लॉकडाउन तो खत्म हो गया पर अपर्णा की मम्मी अभी भी अपने घर में ही बंद रहती हैं. शायद उन्हें इस बात का एहसास हैं कि वो जो छुपाना चाहती थी वो सबको पता चल गया है.और अब उन्हें सबके सवालों से दो चार होना पड़ेगा. आस पास के सभी लोग समझ चुके थे कि उनके साथ क्या हुआ इस बीच. और सच तो ये था कि उनका हाथ भी मार पीट की वजह से टूटा जो उनके पति ने की.

मिसेज़ सलूजा और उनकी सखियाँ अक्सर अपर्णा की मम्मी बातें करती हैं. सभी को इस बात का दुःख है कि अपर्णा की मम्मी को एक ऐसा जीवनसाथी मिला जिसने उनके साथ ऐसा किआ. सभी को इस बात का अंदेशा भी हैं कि पहले भी अपर्णा की मम्मी के साथ ऐसा होता रहा होगा तभी वो हमेशा ही मुरझाई सी रहती थी. सबसे बड़े दुःख की बात ये हैं कि आस-पड़ोस के लोग बस देखते रहें. कम से कम कुछ पुरुष तो अपर्णा के पापा को ऐसा करने से रोक सकते थे. पर अपना समाज कहा इतना समझदार है!!

“I’m taking my blog to the next level with Blogchatter’s My Friend Alexa.”

25 Comments

  1. Very apt story Shipra ji. Suicide and domestic violence is on the rise during the lockdown and some countries where restrictions were lifted saw a drastic increase in divorce cases. These are the harsh realities of our times. High time we look deep into it. Keep the great work going.

    #MyFriendAlexa #ContemplationOfaJoker #Jokerophilia

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